Saturday, April 11, 2009
Wednesday, April 8, 2009
के के की पाती लोगो के नाम !

केके की खुली पातीः फसल खलिहान में और बादल आसमान में, कैसे जिएगा बुंदेलखंड ?
पर्यावरण का असंतुलन बुंदेलखंड में रंग दिखाने लगा है । मानसून का कही कोई ख़बर नही है लेकिन उसके बाद भी बुंदेलखंड में काले घने मेघ उमड़ने लगे है । बुन्देलखंडी किसानों की फसले अभी खेतो से घर के अन्दर जाने की प्रक्रिया में है और ऐसे समय में बादल और उसकी बूंदे जो की धरती पर बिछड़े प्रेमी की तरह यत्र तत्र सर्वत्र गिर रही है । विगत आधे दशक से सूखा पीड़ित बुन्देलखंडी किसान इस बार कुछ राहत की साँस ले रहा था की देर से ही सही इस बार फसल कुछ ठीक ठाक हो जायेगी लेकिन बादलों के यह बिछुडे बूँद रुपी प्रेमी अपनी विरह वेदना से किसानों को रुलाने का हर सम्भव प्रयास कर रहे है । जिससे बचने का उपाय यहाँ के किसानों के पास नही है, यह तकनिकी जरूर कुछ विकसित राष्ट्रों के पास है जो की अपनी बारूदी ताकतों से बदलो के बरसने की अनुमति अपनी जमीन पर नही देते है । यह विकसित राष्ट्र यह सब तब करते है जब उन्हें अपनी ताक़त का एहसास अन्य राष्ट्रों को करना होता है ना की किसानों के हित में । २००८ के ओलंपिक चीन में संपन्न हो चुके है, चीन ने एन ओलंपिक के उद्घाटन के दिन हजारों रॉकेट आसमान में दागे जिससे उमड़ते घुमड़ते बादल बीजिंग छोड़ कर अन्यत्र चले जाए और हुआ भी ऐसे ही । उद्घाटन में कोई विघ्न नही पडा, लेकिन इस अप्राकृतिक कृत्य की सज़ा तो किसी को भुगतना ही पड़ेगा । कही बुंदेलखंड तो नही है इसका शिकार ? नही बुंदेलखंड तो हर रोज़ उतनी ही मात्रा में बारूद उडाता है जितना चीन ने उद्घाटन के दिन उडाया था । जब बुंदेलखंड में हर रोज़ बारूद उड़ता है बड़े बड़े धमाकों के साथ तो इसका खामियाजा भी तो किसी न किसी को भुगतना ही पड़ेगा । हमारे किए की सज़ा कोई और क्यूँ भुगते हम ख़ुद ही भुगतेंगे और हमारे साथ भुगतेंगे हमारे भाई , पड़ोसी , नातेदार और सगे रिश्तेदार । और शायद यही हो रहा है आज बुंदेलखंड में हालाँकि मैं कोई वैज्ञानिक या विषय विशेषज्ञ नही हूँ , मैं पेशे से एक सामाजिक कार्यकर्त्ता हूँ । लेकिन बुंदेलखंड में जो कुछ भी दिन प्रति दिन घटित हो रहा है उससे दुखी हूँ । इस दुःख और चिंता को बाटने वालो की तलाश में हूँ , आप या आपकी जानकारी में अगर ऐसे कोई महानुभाव है जो की बुंदेलखंड में जो कुछ भी घटित हो रहा है उसके बारे में कोई ठोस अनुसन्धान करके तथ्यों के आधार पर बुंदेलखंड की समस्या को समझ कर निवारण के रास्ते बताये तो महती कृपा होगी ।
धन्यवाद,
लेखक सुमित्रा सामाजिक कल्याण संस्थान के साथ कार्य करते है ।
पर्यावरण का असंतुलन बुंदेलखंड में रंग दिखाने लगा है । मानसून का कही कोई ख़बर नही है लेकिन उसके बाद भी बुंदेलखंड में काले घने मेघ उमड़ने लगे है । बुन्देलखंडी किसानों की फसले अभी खेतो से घर के अन्दर जाने की प्रक्रिया में है और ऐसे समय में बादल और उसकी बूंदे जो की धरती पर बिछड़े प्रेमी की तरह यत्र तत्र सर्वत्र गिर रही है । विगत आधे दशक से सूखा पीड़ित बुन्देलखंडी किसान इस बार कुछ राहत की साँस ले रहा था की देर से ही सही इस बार फसल कुछ ठीक ठाक हो जायेगी लेकिन बादलों के यह बिछुडे बूँद रुपी प्रेमी अपनी विरह वेदना से किसानों को रुलाने का हर सम्भव प्रयास कर रहे है । जिससे बचने का उपाय यहाँ के किसानों के पास नही है, यह तकनिकी जरूर कुछ विकसित राष्ट्रों के पास है जो की अपनी बारूदी ताकतों से बदलो के बरसने की अनुमति अपनी जमीन पर नही देते है । यह विकसित राष्ट्र यह सब तब करते है जब उन्हें अपनी ताक़त का एहसास अन्य राष्ट्रों को करना होता है ना की किसानों के हित में । २००८ के ओलंपिक चीन में संपन्न हो चुके है, चीन ने एन ओलंपिक के उद्घाटन के दिन हजारों रॉकेट आसमान में दागे जिससे उमड़ते घुमड़ते बादल बीजिंग छोड़ कर अन्यत्र चले जाए और हुआ भी ऐसे ही । उद्घाटन में कोई विघ्न नही पडा, लेकिन इस अप्राकृतिक कृत्य की सज़ा तो किसी को भुगतना ही पड़ेगा । कही बुंदेलखंड तो नही है इसका शिकार ? नही बुंदेलखंड तो हर रोज़ उतनी ही मात्रा में बारूद उडाता है जितना चीन ने उद्घाटन के दिन उडाया था । जब बुंदेलखंड में हर रोज़ बारूद उड़ता है बड़े बड़े धमाकों के साथ तो इसका खामियाजा भी तो किसी न किसी को भुगतना ही पड़ेगा । हमारे किए की सज़ा कोई और क्यूँ भुगते हम ख़ुद ही भुगतेंगे और हमारे साथ भुगतेंगे हमारे भाई , पड़ोसी , नातेदार और सगे रिश्तेदार । और शायद यही हो रहा है आज बुंदेलखंड में हालाँकि मैं कोई वैज्ञानिक या विषय विशेषज्ञ नही हूँ , मैं पेशे से एक सामाजिक कार्यकर्त्ता हूँ । लेकिन बुंदेलखंड में जो कुछ भी दिन प्रति दिन घटित हो रहा है उससे दुखी हूँ । इस दुःख और चिंता को बाटने वालो की तलाश में हूँ , आप या आपकी जानकारी में अगर ऐसे कोई महानुभाव है जो की बुंदेलखंड में जो कुछ भी घटित हो रहा है उसके बारे में कोई ठोस अनुसन्धान करके तथ्यों के आधार पर बुंदेलखंड की समस्या को समझ कर निवारण के रास्ते बताये तो महती कृपा होगी ।
धन्यवाद,
लेखक सुमित्रा सामाजिक कल्याण संस्थान के साथ कार्य करते है ।
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